इस बार का हरतालिका व्रत तीज खास है। सुहाग का महापर्व तीज 30 अगस्त को मनाया जाएगा। पर्व पर हस्ता नक्षत्र के साथ तृतीय व चतुर्थी का संगम है। सुहागिन संध्या से लेकर रात्रि तक बिना कोई विघ्न के शिव व पार्वती की पूजा कर सकती है। पंचांगों के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ 29 की दोपहर 02:46 से शुरू हो रहा है। समापन 30 अगस्त की दोपहर 02:26 में होगा। इसके बाद चतुर्थी शुरू हो जाएगी।
वहीं हस्ता नक्षत्र 29 की रात्रि 11:12 से 30 की रात्रि 11:41 तक है। आचार्य राजीव नंदन मिश्र ने बताया कि शुक्ल पक्ष की तृतीय व चतुर्थी मिला हरतालिका तीज व्रत रखना सर्वोत्तम है। महिलाएं भगवान शिव व पार्वती की मिट्टी की बनी मूर्ति की पूजा करती है। सुखी वैवाहिक जीवन व संतान प्राप्ति की प्रार्थना करती है। उन्होंने बताया कि अविवाहित युवतियां भी अच्छे वर के लिए तीज व्रत कर सकती हैं।
31 अगस्त को पारण करेंगी महिलाएं
29 अगस्त को नहाय-खाय के साथ सुहागिन महिलाएं महापर्व तीज की शुरूआत करेंगी। इस दिन विशेष स्नान व पूजा अर्चना के बाद घर पर तरह-तरह के पकवान बना भगवान को भोग लगा स्वयं प्रसाद के रूप में ग्रहण करेगी। 30 अगस्त को निर्जला उपवास का व्रत रखेगी।
हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार हरतालिका तीज के दिन सुबह की पूजा के लिए सुबह 9 बजकर 33 मिनट से 11 बजकर 05 मिनट तक का समय शुभ माना जा रहा है। शाम की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 3 बजकर 49 मिनट से रात 7 बजकर 23 मिनट तक का समय उत्तम है प्रदोष काल में हरतालिका तीज की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 34 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 50 मिनट तक है।
व्रत की पूजा विधि
पंडित मिश्रा ने बताया कि हरितालिका तीज के दिन बालूरेत के शंकर-पार्वती की मूर्ति बनाकर उनके ऊपर फूलों का मंडल सजाया जाता है। पूजा गृह को केले के पत्तों और अन्य फूल-पत्तियों से सजाया जाता है। यह निर्जल, निराहार व्रत है, जिसमें प्रसाद के रूप में फलादि ही चढ़ाए जाते हैं। इस व्रत में रात्रि जागरण कर पांच बार शिव पूजा का विधान है। व्रत की कथा सुनी जाती है। दूसरे दिन सुबह होने पर पवित्र नदियों नदी में शिवलिंग और पूजन सामग्री का विसर्जन करने के साथ यह व्रत संपन्न होता हैहरितालिका तीज के दिन मंगलकारी हस्त नक्षत्र रहेगा। साथ ही शुभ और रवियोग का संयोग भी रहेगा।