शरद यादव के जीवन का आखिरी ट्वीट भी पिछड़ों के मुद्दों से जुड़ा था। जिसमें उन्होने SC द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा यूपी निकाय चुनाव ओबीसी कोटा के बिना कराने के निर्देश पर रोक लगाने की सराहना की थी।
जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव नहीं रहे। गुरुवार रात गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में उनका निधन हो गया। वह 75 साल के थे। सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शरद यादव जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके थे। उनका नाम देश के बड़े समाजवादी नेताओं में शुमार किया जाता था। उनके करीबियों के मुताबितक, शरद यादव का राजनीतिक कद इतना ऊंचा था कि जब वे बोलते थे तो पूरा देश सुनता था।
शरद यादव ने हमेशा से पिछड़ों की राजनीति मे रमे रहे। शरद यादव के जीवन का आखिरी ट्वीट भी पिछड़ों के मुद्दों से जुड़ा था। 5 जनवरी को ट्वीट करते हुए लिखा था कि मैं माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा यूपी निकाय चुनाव ओबीसी कोटा के बिना कराने के निर्देश पर रोक लगाने की सराहना करता हूं।
दरअसल सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ी राहत देते हुए अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए सीटों को आरक्षित किए बिना शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी। जिसकी शरद यादव ने सराहना की थी। मंडल कमीशन के बाद शरद यादव की राजनीति का कर्मक्षेत्र बिहार बना। मंडल कमीशन लागू होने के बाद वे पटना के गांधी मैदान की एक रैली में आए थे। वहां उन्होंने कहा था कि मंडल को रोकने के लिए हिंसक रास्तों का भी सहारा लिया जाएगा। ऐसे में पिछड़े वर्ग के भाइयों को सिर कटाकर भी इस आंदोलन को कमज़ोर नहीं होने देना है।
शरद हमेशा पिछड़ों की लड़ाई में सबसे आगे रहे। और आरक्षण के मुद्दों को प्रमुखता से उठाते रहे। एक बार शरद यादव ने कहा था कि देश का बहुसंख्यक समाज अभी भी इंसाफ से वंचित है। हालत यह है कि यह समाज जहां था, वहीं पर अटका हुआ है। इसकी वजह बताते हुए यादव ने साफ किया कि मूल निवासी पिछड़े समाज के साथ देश के शासकों ने न्याय नहीं किया। साथ ही इसके नाम पर राजनीति भी खूब की गयी। उन्होंने कहा कि यदि यह राजनीति समाज के विकास के लिए की गयी होती तो आज यह बहुसंख्यक समाज विकास के नये कीर्तिमान रचता।