असम में 21 अगस्त से शुरू हो रहे बड़े पैमाने पर शुरू हो रही भर्ती अभियान में हिंदी प्रश्न पत्र को शामिल किए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। विपक्षियों ने सरकार पर हमला भी बोला है।
असम सरकार की ओर से राज्य में शुरू हो रहे बड़े पैमाने पर भर्ती अभियान में लिखित परीक्षा के लिए चार अन्य भाषाओं के साथ-साथ हिंदी में प्रश्न पत्र को शामिल किए जाने पर विवाद खड़ा हो गया है। राज्य सरकार के अलग-अलग विभागों में तीसरे और चौथे ग्रेड के लिए करीब 30 हजार भर्तियों के लिए हिंदी के अलावा अंग्रेजी, असमिया, बोडो और बंगाली भाषाओं में भी प्रश्न होंगे।
सिबसागर विधायक और रायजर दल के अध्यक्ष अखिल गोगोई ने राज्य सरकार के फैसले को दुर्भाग्य बताते हुए कहा, हमारे पास असम में ग्रेड III और ग्रेड IV पदों के लिए हिंदी में प्रश्न पत्र है। यह अन्य राज्यों के उम्मीदवारों को इस परीक्षा के लिए उपस्थित होने की अनुमति देगा जो कि आदर्श रूप से राज्य के निवासियों के लिए आरक्षित होना चाहिए।
आरएसएस की योजना बताया
तृणमूल कांग्रेस की असम इकाई के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा कि हिंदी प्रश्न पत्र शामिल करने का कदम नागपुर के निर्देशों के तहत लिया गया है क्योंकि यह हिंदी को लागू करने और हिंदी भाषी लोगों को असम में राज्य सरकार की नौकरी सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की योजना है।
सत्ताधारी पार्टी ने भी किया पलवाटर
संसदीय मामलों और सूचना मंत्री पीयूष हजारिका ने पलटवार करते हुए कहा कि यहां तक कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश में भी असम के युवा जा सकते हैं और सरकारी नौकरियों के एक निश्चित प्रतिशत के लिए आवेदन कर सकते हैं। ऐसी व्यवस्था कई राज्यों में लागू है। राज्य की सभी नौकरियां किसी विशेष राज्य के लोगों के लिए आरक्षित नहीं है। उन्होंने सवाल किया क्या आप उम्मीद करते हैं कि हमारे युवा किसी अन्य राज्य में जाकर असमिया भाषा में नौकरी की परीक्षा देंगे? या आप चाहते हैं कि दूसरे राज्यों में काम कर रहे असमियों को वापस भेज दिया जाए?
बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है जब असम सरकार की ओर से आयोजित परीक्षाओं में हिंदी के प्रश्नों को शामिल किया गया है। पिछले साल अक्टूबर में, हिंदी, अंग्रेजी, असमिया, बोडो और बंगाली भाषाओं में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) आयोजित की गई थी।