पटना में 9वीं में पढ़ने वाले एक स्टूडेंट को वीडियो गेम की लत लग गई। गेम जुए में बदल गया। बस 4 महीने में वह 3 लाख रुपए ऑनलाइन गेम में हार गया। घर वालों को जब इसकी जानकारी हुई तो मामला साइबर सेल में पहुंचा। पैसे वापस नहीं आए तो घर वालों ने छात्र पर दबाव बनाया। डिप्रेशन का शिकार हुआ स्टूडेंट अब बार-बार सुसाइड करने की कोशिश कर रहा है। दो बार हाथ की नस काट चुका है। यही नहीं एक अन्य मामले में वीडियो गेम में बिजनेस का पैसा हारने वाले एक बिजनेसमैन ने तो फांसी लगा ली थी। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं, कैसे बढ़ रहा वीडियो गेम से मौत का खतरा…
केस एक : 3 लाख रुपए उड़ा लिए
छपरा का रहने वाला एक परिवार अपने इकलौते बेटे को पढ़ाने के लिए पटना के पॉश इलाके में महंगा कमरा लेकर रहता है। 14 साल का बेटा दीघा के एक बड़े स्कूल में 9वीं का स्टूडेंट है। पढ़ाई से थक जाने के बाद घर वाले बेटे को मन बहलाने के लिए मोबाइल देते थे। बेटे को मोबाइल गेम की आदत बन गई, बाद में लत लग गई। खेल के दौरान वह 4 माह में 3 लाख रुपए हार गया। ऑनलाइन गेम में उससे 3 लाख रुपए की साइबर ठगी हो गई। घर वालों को जब इसकी जानकारी हुई तो वह उसे लेकर साइबर सेल गए, लेकिन पैसा वापस नहीं आया।
घर वालों की बड़ी पूंजी जाने से आर्थिक स्थिति गड़बड़ हाे गई। ऐसे में बेटे को कोसने लगे। बेटे को भी गलती का एहसास हुआ और वह डिप्रेशन में चला गया। वह दो बार अपने हाथ की नस काटी और अस्पताल में भर्ती कराया गया। स्टूडेंट की काउंसिलिंग कर रहीं क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. बिंदा सिंह का कहना है कि उसकी 4 महीने से काउंसिलिंग की जा रही है। वह काफी डिप्रेशन में हैं, कई सुसाइड अटेम्प्ट कर चुका है। पढ़ाई और पैसे के साथ सामाजिक स्थिति प्रभावित हुई है।
केस दो : बिजनेस का पैसा हारा तो कर लिया सुसाइड
पटना में बड़ा बिजनेस करने वाला एक 35 साल का व्यक्ति वीडियो गेम के चक्कर में जान दे चुका है। 15 दिन पूर्व हुई इस घटना ने बड़ा सवाल खड़ा किया है। घटना के बाद पत्नी की काउंसिलिंग करने वाली क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ बिंदा सिंह ने बताया कि वह दुकान में गेम खेलता रहता था। वीडियो गेम में ही बिजनेस का पैसा लगाने लगा। पत्नी जब पैसा मांगती तो दुकान में घाटा बता देता। बिजनेस का सारा पैसा गेम में लगा देता था। बाद में बिजनेस के बहाने पत्नी से पैसा लेकर गेम में लगाता गया।
एक साल में 5 लाख से ज्यादा गेम में हारने के बाद घर वालों को सच पता चला। ससुराल वालों से लेकर पत्नी ने भी सवाल किया। इससे डिप्रेशन में आए युवक ने फंदे से लटकर सुसाइड कर लिया। डॉ. बिंदा बताती हैं कि गेम के चक्कर में पूरा परिवार बर्बाद हो गया। छोटे बच्चे को लेकर पत्नी कहां जाए, कोई रास्ता नहीं। घटना के बाद वह भी डिप्रेशन में है। इसके लिए उसकी काउंसलिंग की जा रही है।
केस तीन : एप डाउनलोड कर लग गई लत
पटना के 12 साल के एक स्टूडेंट को अपने भाई से मोबाइल गेम की लत लग गई। वह चोरी छिपे वीडियो गेम देखने लगा। अब काउंसिलिंग से उसकी लत छुड़ाने का प्रयास किया जा रहा है। काउंसलर का कहना है कि एक ऐसा गेम का एप है, जिसे डाउनलोड करने के लिए एक हजार रुपए दिया जाता है। रेफरल यानी 3 दोस्तों को डाउनलोड कराने पर 3 हजार रुपए का लालच दिया जाता है।
स्टूडेंट ने काउंसलर को बताया कि गेम के लिए लालच देकर जुए की लत लगाई गई। अब ऐसा हो गया कि वह हमेशा गेम के लिए परेशान रहता है। अब काउंसलर उसकी लत को काउंसिलिंग से छुड़ाने का प्रयास कर रहे हैं।
बड़ी चुनौती बनकर आया सामने
काउंसलर का कहना है कि पबजी की लत ऐसी है कि भागलपुर में गेम हारने में एक लड़के ने बिजली के तार से फंदा लगा लिया। डॉ. बिंदा सिंह का कहना है कि कोरोना काल के बाद अब वीडियो गेम बड़ी चुनौती बन गई है। समाज में यह खतरनाक लत है, जो छोटे छोटे बच्चों को हिंसक बना रही है। बड़ों के साथ बच्चों में भी सुसाइड का मामला आ रहा है। ऐसी स्थिति में मां-बाप को पूरी तरह से सतर्क होने की जरूरत है। किस कारण से उसे यह लत लगी है, इसका पता लगाकर इलाज किया जाता है।
बच्चों को सपोर्ट देना होता है। बच्चों को एहसास कराना होता है कि उसे ठीक से रहना है कि पढ़ाई करना है, घर वालों की उम्मीदों को पूरा करना है। फ्यूचर को लेकर उन्हें एहसास कराकर गेम की लत छुड़ाने का प्रयास किया जाता है। अगर बच्चे अपनी परेशानी काउंसलर को बता दें और उनकी समस्या पर काम किया जाए तो काफी हद तक वह गेम से दूर हो सकते हैं।