NDA का साथ छोड़ महागठबंधन का मुख्यमंत्री बनने के 15 दिन बाद नीतीश कुमार विधानसभा पहुंचे। यहां वे अपने पुराने सहयोगी BJP पर जमकर बरसे। संबंध दरकने की पूरी कहानी उन्होंने तथ्यों के साथ सुनाई।
नीतीश कुमार ने कहा कि सत्ता में आने के साथ ही उनकी बातों को नजरअंदाज किया जाने लगा था। उन्हें सबसे बड़ा झटका उस दौरान लगा था जब 10 साल से ज्यादा समय से उनके डिप्टी रहे सुशील कुमार मोदी का नाम अचानक मंत्री पद से हटा दिया गया।
नीतीश कुमार ने विधानसभा में कहा कि बिना उनकी सहमति के सुशील कुमार मोदी को हटा दिया गया। उन्हें बताया गया था नवल किशोर यादव को कोई बढ़िया पद दिया जाएगा लेकिन उन्हें भी हटा दिया गया। विनोद नारायण झा, प्रेम कुमार को जगह नहीं दी गई। कैबिनेट भी सभी नए चेहरे को शामिल कर दिया गया।
अटल-आडवाणी के बहाने मोदी-शाह पर साधा निशाना
नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में बीजेपी को खूब सुनाया। पीएम मोदी का उन्होंने नाम तो नहीं लिया मगर उनके निशाने पर वही थे। नीतीश कुमार ने कहा कि आज की सरकार का कुछ नहीं है। हम 2013 में क्यों अलग हुए यह भी जान लीजिए। अटल जी, आडवाणी जी, मुरली मनोहर जोशी जी सभी आप ही के पार्टी के नेता थे। यह सभी मेरी बात सुनते थे और मानते थे। 2013 में अटल जी की तबीयत ठीक नहीं थी। तब बाकी के जो नेता हैं, उनकी बात होनी चाहिए थी।
नीतीश के साथ लगातार बढ़ रही थी संवादहीनता
जेडीयू के सूत्रों की मानें तो BJP के सेकंड लाइनर नेताओं के साथ नीतीश कुमार की लगातार संवादहीनता बढ़ती जा रही थी। न ही कोई इस कद के थे कि सीधे नीतीश कुमार से आकर बात कर सकें और न ही किन्हीं को इतनी समझ थी। इतना ही नहीं BJP के इन नेताओं के बयानों से भी वे कई बार असहज हो जाते थे।
नेता से अधिकारी तक की अपनी लॉबी बनाते हैं नीतीश
वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय कहते हैं कि नीतीश कुमार बिहार के एक ऐसे राजनेता हैं जो अपने पसंद के लोगों के साथ काम करना पसंद करते हैं। चाहे वो अधिकारी हों या नेता, जल्दी वे उनमें बदलाव नहीं करते हैं। बीजेपी की तरफ से जो बदलाव किया उनमें इतना गट्स ही नहीं था कि वो नीतीश कुमार की आंख में आंख मिलाकर बात कर सकें। यही कारण है कि कई मौके पर 2020 के बाद केंद्रीय नेतृत्व को दखल देना पड़ता था।
नीतीश के पसंद विजेंद्र यादव 2005 से हर मंत्रिमंडल में शामिल रहे
नीतीश अपने पसंद को किस तरह बढ़ावा देते हैं इसे बिजेंद्र यादव से समझा जा सकता है। राज्य में राजनीतिक हालात कितने ही क्यों न बदले हों, लेकिन विजेंद्र प्रसाद यादव हर वक्त नीतीश कुमार के साथ रहे हैं। वे पिछले 12 वर्षों में बिहार में बनने वाली हर सरकार के हिस्सा रहे। नीतीश कुमार ने 12 वर्षों में पांचवीं बार शपथ ली और हर बार विजेंद्र यादव उनके मंत्रिमंडल में रहे। यही नहीं अधिसंख्य समय उन्होंने ऊर्जा मंत्री की ही जिम्मेदारी निभाई।