राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने पिछले दिनों 27 हजार वासहीन परिवारों को बसाने की योजना बनायी थी। विभाग इस योजना पर काम कर रहा है कि सूबे में कोई वासहीन नहीं होगा और कोई बगैर छत के नहीं होगा।
बिहार सरकार गृहविहीन पिछड़ों और दलितों को जमीन खरीदकर बसाएगी। इसके लिए इस साल 73 करोड़ रुपए खर्च होंगे। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इसके लिए व्यापक कार्ययोजना बनायी है। इसमें गृहविहीन अनुसूचित जाति के परिवारों के लिए रैयती जमीन खरीदने के लिए 66 करोड़, पिछड़ा वर्ग वासहीन परिवारों के गृहस्थल के लिए 3 करोड़ के अलावा टीएसपी योजना के तहत गृहविहीनों के लिए वास भूमि पर 4 करोड़ खर्च होंगे।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने पिछले दिनों 27 हजार वासहीन परिवारों को बसाने की योजना बनायी थी। विभाग इस योजना पर काम कर रहा है कि सूबे में कोई वासहीन नहीं होगा और कोई बगैर छत के नहीं होगा। इस साल के अंत तक इन्हें वास भूमि उपलब्ध करायी जाएगी। दरअसल, राज्य सरकार ने वर्ष 2010 में वासरहित महादलित परिवारों को भूमि उपलब्ध कराने के लिए महादलित विकास योजना के तहत यह योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत 31 मार्च, 2016 तक वासरहित सर्वेक्षित परिवार की संख्या 2.40 लाख थी। राज्य सरकार ने इन सभी परिवारों को विभिन्न स्रोतों से वास भूमि उपलब्ध करा चुकी है। बाद में इस योजना को विस्तारित किया गया और इसमें पिछड़ा,अति पिछड़ा, एससी-एसटी के वासहीन परिवारों को शामिल किया गया।
विभाग द्वारा पिछड़े वर्ग के वासहीन परिवारों के लिए गृहस्थल योजना के तहत बसने के लिए जमीन उपलब्ध करायी जा रही है। लगभग सात हजार भूमिहीन परिवारों को बसने के लिए जमीन ली जाएगी। अनुसूचित जाति के गृहविहीन 19 हजार परिवारों को विशेष घटक योजना के तहत जमीन उपलब्ध करायी जा रही है।