जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र लोक सेवाओं के अधिकार (आरटीपीएस) में शामिल है। इसके आवेदन को छह दिन में निष्पादन करने का प्रावधान है। लेकिन, पटना जिले के 17 नगर निकायों में अभी तक आरटीपीएस के माध्यम से इसके लिए आवेदन देने की सुविधा बहाल नहीं हुई है। नतीजतन, लोग महीनों कार्यालय का चक्कर लगाने को विवश हैं। इसका सीधा फायदा इससे जुड़े अधिकारी और कर्मचारी उठा रहे हैं। ये दलालों के साथ मिलकर प्रति आवेदन 400 रुपए तक की वसूली कर रहे हैं।
दैनिक भास्कर में बुधवार को सदर प्रखंड के प्रभारी सांख्यिकी पदाधिकारी निर्भय नंदन आजाद द्वारा 400 रुपए प्रति आवेदन रिश्वत मांगने का वीडियो वायरल हाेने से संबंधित खबर प्रकाशित की गई। इसके बाद डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने उन्हें तत्काल प्रभाव से हटाने का आदेश दिया है। वहीं, सदर एसडीओ नवीन कुमार को जांच कर रिपाेर्ट देने का निर्देश दिया है। रिपाेर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। सदर प्रखंड के तत्कालीन सांख्यिकी पदाधिकारी के स्थानांतरण के बाद दनियावां प्रखंड में पदस्थापित निर्भय नंदन आजाद को प्रभार दिया गया था।
लोग महीनों चक्कर लगाने को विवश
आरटीपीएस के माध्यम से आने वाले जन्म-मृत्यु के आवेदनों को छह दिन में निष्पादित करने का प्रावधान है। लेकिन, जिले के नगर निकाय क्षेत्र में आरटीपीएस के माध्यम से आवेदन जमा नहीं होने से लोग महीनों कार्यालय का चक्कर लगाने को विवश हैं। अधिकारियों के मुताबिक सामान्य दिनों में 50 से 70 आवेदन प्रतिदिन आते हैं। दिसंबर से मार्च तक आवेदनों की संख्या में बढ़ोतरी हो जाती है।
आरटीपीएस के दायरे में सेवाएं
- योजना एवं विकास विभाग : जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र।
- सामान्य प्रशासन विभाग : आवासीय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, नॉन क्रीमी लेयर प्रमाण पत्र, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आय प्रमाण पत्र।
- गृह विभाग : आचरण प्रमाण पत्र।
- राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग : ऑनलाइन दाखिल-खारिज,
- लगान भुगतान। इसी तरह परिवहन विभाग, श्रम संसाधन विभाग, पर्यटन विभाग, पर्यावरण एवं वन और जलवायु परिवर्तन विभाग की सेवाओ को आरटीपीएस के दायरे में रखा गया है।
कहते हैं एक्सपर्ट
सभी नगर निकायों में नहीं तो कम से कम नगर-निगमों में ही जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने की सुविधा मिलनी चाहिए। जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए लगातार नगर निकायों को अधिकार देने की मांग करने वाले वार्ड-48 के निवर्तमान पार्षद इंद्रदीप कुमार चंद्रवंशी ने बताया कि लोगों से बिना रिश्वत लिए काम नहीं किया जाता। ऐसे अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। उनका कहना है कि जब नगर निकायों के पास सभी तरह के संसाधन मौजूद हैं तो इसके लिए लोगों को ब्लॉक व प्रखंड का चक्कर लगवाना ठीक नहीं है। शासन स्तर पर इसपर पर तुरंत फैसला होना चाहिए, ताकि बड़ी संख्या में लोगों को हो रही परेशानी से राहत मिल सके।