छत्तीसगढ़ भाजपा का मिशन-2023 शुरू हो गया है। संगठन को मजबूत करने और सरकार को आक्रमक रूप से घेरने शीर्ष नेतृत्व ने महत्वपूर्ण पदों पर बदलाव कर दिए हैं। अब आगे महामंत्रियों व जिला अध्यक्षों की बारी है।
छत्तीसगढ़ भाजपा का मिशन-2023 शुरू हो गया है। संगठन को मजबूत करने और सरकार को आक्रमक रूप से घेरने शीर्ष नेतृत्व ने महत्वपूर्ण पदों पर बदलाव कर दिए हैं। भाजपा की सख्ती के बाद सियासी नेताओं में उथल-पुथल मचा हुआ है। 15 साल तक सत्ता में रहने के बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में महज 15 सीटों पर सिमटने वाली भाजपा संगठन को इस स्थिति तक नहीं ला सके हैं कि 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता में वापसी हो सके। लगातार हार के बाद भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने राज्य के दिग्गज नेताओं को किनारे करते हुए आरएसएस के नेताओं पर भरोसा जताया है।
भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ में भाजपा को सत्ता में लाने की जिम्मेदारी आरएसएस की तिकड़ी राष्ट्रीय सगसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल के साथ भाजपा के नए प्रदेशाध्यक्ष बिलासपुर के सांसद अरुण साव को सौंपी है। भाजपा इनके भरोसे अपनी चुनावी नैया पार लगाना चाहती है। वहीं सरकार को सदन में घेरने धरमलाल कौशिक के स्थान पर नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है। बता दें कि लगातार हार और गुटबाजी से भाजपा के प्रदेश नेतृत्व पर सवाल उठते रहे हैं। अब मिशन-2023 से पहले भाजपा बदलाव के एक्शन मोड में नजर आ रही है। अब संगठन महामंत्रियों व जिला अध्यक्षों को बदला जाएगा। बदलाव को लेकर प्रदेश से लेकर जिला संगठन तक हड़कंप मचा हुआ है।
गुटबाजी व खींचतान से संगठन को नुकसान
भाजपा प्रदेश के उन दिग्गज नेताओं को किनारे लगाएगी, जिनके कारण कार्यकर्ता लंबे समय से नाराज हैं। भाजपा ने एक साल पहले राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री सौदान सिंह की जगह आरएसएस के शिवप्रकाश को कमान सौंपी। प्रदेश के भाजपा प्रभारी डॉ. अनिल जैन के स्थान पर डी. पुरंदेश्नवरी को जिम्मेदारी सौंपी गई। एक सहप्रभारी नितिन नबीन को बनाया गया। नगरीय निकाय और खैरागढ़ उप चुनाव में हार के बाद भाजपा की लगातार बैठकें हो रही। डी. पुरंदेश्वरी व नितिन नबीन लगातार प्रदेशभर का दौरा कर रहे हैं। मंत्रणा हो रही है, लेकिन एक साल में कुछ ज्यादा नहीं हो सका। इसकी वजह प्रदेश में 15 साल तक सत्ता में रहने वाले दिग्गज नेताओं का हावी होना है। कई गुटों में नेता बंटे हुए हैं। खींचतान से संगठन को नुकसान हो रहा है।
बदलाव के संकेतों से भाजपा में मची उथल-पुथल
छत्तीसगढ़ भाजपा की प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी खेमों में बंटे नेताओं की गतिविधियों पर नजर रखी रही। राष्ट्रीय नेतृत्व तक जब यह बात पहुंची तब यहां पर छत्तीसगढ़-मध्य प्रदेश के लिए क्षेत्रीय संगठन महामंत्री की नियुक्ति करने का फैसला लिया और आरएसएस के अजय जामवाल को जिम्मेदारी सौंपी। उनकी नियुक्ति काफी पहले हो जाती, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव के कारण मामला लटक गया था। जामवाल की नियुक्ति के बाद पहले से तय रणनीति के मुताबिक प्रदेशाध्यक्ष को बदल दिया गया। इसका जिम्मा भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की पृष्ठभूमि वाले सांसद अरुण साव को सौंपा गया। ऐसे में अब आरएसएस के 3 दिग्गज नेताओं के हाथों में छत्तीसगढ़ भाजपा की कमान आ गई है। वहीं बदलाव के संकेतों को बीच भाजपा में उथल-पुथल जारी है।
छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश की जिम्मेदारी संभाल रहे अध्यक्ष विष्णुदेव साय, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक को बदले जाने के बाद अब प्रदेश संगठन में महामंत्रियों की विदाई तय है। प्रदेश भाजयुमो के साथ जिला संगठनों में बदलाव होगा। बदलाव को लेकर बैठकों का दौर भी जारी है। 2023 के मद्देनजर बीजेपी अपनी जमीन मजबूत करने बड़े फैसले ले रही है। इसके बाद कुछ ऐसे नेताओं का भी नंबर है, जिनके बारे में राष्ट्रीय संगठन जानता है कि इनके यहां रहते परेशानी होगी और भाजपा को सत्ता में वापस लाना मुश्किल होगा। इन नेताओं के चेहरे की रंगत भी नए प्रदेशाध्यक्ष के पहले रायपुर आगमन के समय देखने को मिल गई थी। यह नेता किसी भी तरह से खुश नजर नहीं आ रहे थे, क्योंकि उन्हें मालूम है कि अब उनकी यहां से उनकी विदाई तय है।