एक वृद्धा की मौत के बाद अंतिम संस्कार को लेकर उनके ही दो बेटे आमने-सामने हो गए। वृद्धा के पहले पति का पुत्र मुस्लिम धर्म का है, जबकि दूसरे पति से हुआ पुत्र हिंदू धर्म से। यहीं जिच फंसा।
लखीसराय जिले के चानन थाना क्षेत्र के जानकीडीह में मंगलवार को एक वृद्धा की मौत के बाद अंतिम संस्कार को लेकर उनके ही दो बेटे आमने-सामने हो गए। वृद्धा के पहले पति का पुत्र मुस्लिम धर्म का है, जबकि दूसरे पति से हुआ पुत्र हिंदू धर्म से। यहीं जिच फंसा।
एक पुत्र दफनाने की इच्छा रखता था दूसरा दाह संस्कार करने की। दो अलग-अलग धर्मों से ताल्लुकात रखने वाली वृद्धा और उनके स्व. पति ने अपनी शादीशुदा जिंदगी बगैर किसी विद्वेष के गुजार ली। अब जब वृद्धा के जीवन का अंत हो गया तो दोनों ही बेटे अपनी-अपनी रीति के अनुसार उनका अंतिम संस्कार करने पर अड़ गए। हालांकि जांच-पड़ताल के बाद वृद्धा को पुलिस ने हिन्दू रीति से दाह संस्कार कराने का आदेश दिया और फिर सारी क्रियाएं संपन्न करायी गयीं।
दरअसल, जानकीडीह के राजेंद्र पंडित ने करीब 40 साल पहले एक मुस्लिम महिला रेखा खातून से शादी की थी। राजेंद्र पंडित की पहली पत्नी का देहांत हो गया था और रेखा भी पूर्व से एक बच्चे की मां थी। रेखा राजेंद्र से शादी के बाद अपने इकलौते पुत्र मो. मोखिल के साथ जानकीडीह अपने पति के साथ जीवन गुजारने आयी थीं। दोनों की शादी से एक पुत्र बबलू पंडित और एक पुत्री नजमा खातून हुई। राजेंद्र पूजा-पाठ कराने का काम करते थे, वहीं नजमा जीवनयापन के लिए सब्जी बेचा करती थी। दोनों के रिश्ते में धर्मों को लेकर कभी कड़वाहट नहीं बनी और खुशी-खुशी जिंदगी गुजारते रहे।
इस बीच करीब 10 साल पहले राजेंद्र का निधन हो गया। वहीं मंगलवार की सुबह रेखा की भी वृद्धावस्था में मौत हो गई। जब बात अंतिम संस्कार पर आयी तो उनके पुत्र मो. मोखिल और बबलू पंडित आमने-सामने हो गए। मोखिल मां के शव को दफनाने पर अड़ा रहा और बबलू ने दाह संस्कार के जरिए अंतिम संस्कार करने की बात कही।
मामला तूल पकड़ते देख पुलिस भी गांव पहुंच गई। एएसपी सैय्यद इमरान मसूद के नेतृत्व में पुलिस की टीम ने दोनों पक्षों को आपसी समन्वय बनाकर वृद्धा का अंतिम संस्कार कराने की सलाह दी। हालांकि बात न बनने की स्थिति में पुलिस ने जांच-पड़ताल शुरू कर दी। पुलिस ने दस्तावेजों को खंगाला तो शादी के बाद वृद्धा रेखा खातून को रेखा देवी के नाम से पाया।
इस हिसाब से पुलिस ने वृद्धा को हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार ही अंतिम संस्कार कराने का आदेश दिया। इसके साथ ही दोनों भाइयों को आपस में समन्वय बनाकर रहने की सलाह दी गई। इस बीच मौजूद ग्रामीणों ने भी समझाने-बुझाने का कार्य किया। एएसपी सैय्यद इमरान मसूद ने बताया कि दोनों भाइयों को समझा दिया गया है।
दस्तावेजों के आधार पर वृद्धा हिन्दू है। इसलिए हिन्दू रीति रिवाज से ही उनका अंतिम संस्कार होना उचित है। गांव में ही उनका दाह संस्कार कराया जा रहा है। मो. मोखिल ने बताया कि मुझे शव नहीं मिला है, फिर भी अपनी तरीके से क्रिया-कर्म करेंगे। बबलू के द्वारा किए जा रहे क्रिया-कर्म में शामिल नहीं होंगे।