अगर इनके घर राशन नहीं पहुंचा तो कोरोना नहीं भूख से मर जाएंगे
लखनऊ के आउटर में सीतापुर रोड पर बनी झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों को अपने बच्चों को आटा घोलकर पिलाना पड़ रहा है, क्योंकि घर में कुछ भी खाने के लिए नहीं है. लॉकडाउन के चलते इन लोगों के हालात बिगड़ गए हैं.
- प्रधानमंत्री मोदी ने 14 अप्रैल तक लॉकडाउन का किया ऐलान
- देश में कोरोना की चपेट में आने वालों की संख्या 580 के पास
कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में 21 दिन के लिए लॉकडाउन कर दिया गया है, जिसका असर अभी से दिखने लगा है. इस लॉकडाउन का असर पूरे देश में सामान्य जनजीवन पर तो पड़ा ही रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा वो गरीब मजदूर इससे प्रभावित हो रहे है, जिनका जीवनयापन रोज की दिहाड़ी से होता है.
ऐसे दिहाड़ी मजदूर लॉकडाउन के चलते घर से निकल नहीं पा रहे हैं, जिसके चलते इनका कामकाज ठप हो गया है. अब इनके सामने जीवनयापन का भी संकट पैदा हो गया है. रोजाना 100-200 रुपये कमाने वाले इन दिहाड़ी मजदूरों के पास अपने बच्चों और परिवार को खिलाने के लिए राशन तक नहीं हैं.
इन मजदूरों के पास रोजमर्रा के जरूरी सामान और राशन खरीदने तक को पैसा नहीं हैं. आलम यह है कि अगर इन मजदूरों के घर राशन नहीं पहुंचाया गया, तो इनकी भूख से ही मौत हो जाएगी. कुल मिलकर लॉकडाउन में सबसे गहरी मुश्किल में रोजाना कमाकर जीवनयावन करने वाले लोग हैं.
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